जाने योगिनी एकादशी की व्रत विधि और कथा yogini ekadashi importanceइस सनातनी एकादशी का व्रत संसाररूपी समुन्द्र में डूबने वालो के लिए जहाज के सामान और सब प्रकार के पापो का नाश कर मुक्ति दिलाने वाला हैं! इसके प्रभाव से गोहत्या तथा पीपल के पवित्र वृक्ष को काटने जैसा महापाप भी नष्ट हों जाते हैं.व्रती भक्त का भयंकर कुष्ठरोग इसके पुण्य के प्रताप से दूर होता हैं ! हज़ारो ब्राहम्णो को भोजन कराने से जो फल प्राप्त होता हैं ,वही व्रत इस फल के करने से मिलता हैं.व्रती के सारे मनोरथ पूर्ण करने और मोक्ष प्राप्ति में भी यह व्रत फलदायी हैं! yogini ekadashi vrat vidhiयह व्रत आषाढ़ा मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को रखा जाता हैं ! इस दिन सुबह जागकर दैनिक कामो से निवर्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करे! फिर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर ,चन्दन ,रोली ,धुप ,दीप,पुष्प से पूजन ,आरती करे!इस व्रत में लाल चन्दन और लाल गुलाब के फूलो की माला का उपयोग करने का अधिक महत्व माना गया हैं! मिष्ठान,फल,नैवेध में पांच मेवों का भोग लगाकर प्रसाद भक्तो में वितरित करे! पूजन के बाद याचको एव ब्राहम्णो को यधा शक्ति दान दे! yogini ekadashi kathaइस व्रत की कथा का उल्लेख श्री पदम पुराण में इस प्रकार किया गया हैं – माली हेम की विशालाक्षी नाम की सुन्दर पत्नी थी.एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया ,किन्तु कामासक्त होने के कारण पुष्पों को रखकर अपनी पत्नी के साथ रमण करने लगा और दोपहर तक कुबेर के पास न पहुंचा ! जब कुबेर को उसकी राह देखते -देखते दोपहर हों गई.तो उन्होंने क्रोधित होकर अपने सेवको को आज्ञा दी .की तुम लोग जाकर माली का पता लगाओ.की वह अभी तक पूजा के लिए पुष्प क्यों नहीं लाया ?
सेवको ने माली का पता लगया और सारी बाते कुबेर को बताई की “हे स्वामी ! वह कुबेर अभी तक हैं तो अपने ही घर में .लेकिन अपनी पत्नी के साथ ऐसी हालत में हैं की हमने हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा ,इसलिए हम लौट आये हैं .इस पर कुबेर ने सेवको को किसी भी हालत में माली को राजदरबार में लाने का आदेश दिया ! हेम माली भय से कापता हुआ राजदरबार में पुहचा,तो कुबेर उस पर बहुत क्रोधित हुए ! उन्होंने हेम माली से कहा -“रे पापी !महानीच कामी !तूने मेरे परमपूजनीय ईश्वरो के भी ईश्वर भगवान् शिव का बहुत अनादर किया हैं ! मैं तुझे शाप देता हूँ की तू स्त्री -वियोग भोगेगा और मृत्यु लोक में जाकर श्वेत कुष्ठ की बीमारी से पीड़ित रहेगा !’ शाप के कारण उसी समय से हेम का शरीर श्वेत कुष्ठ से गुलने लगा !वह कोढ़ी हों गया और जगह-जगह भटकने लगा !भटकते -भटकते एक दिन वह महृषि मार्कण्डये के आश्रम में जा पहुंचा !उसकी ऐसी हालत देखकर महृषि मार्कण्डये को उस पर दर्वित हों गए ! हेम ने अपना दोष और कुबेर के दवारा शाप दिए जाने की बात बताई ,तो महृषि मार्कण्डये को उस पर दया आ गई .उन्होंने कहा -क्योंकी तूने मेरे समुख सत्ये बोला हैं ,इसलिए मैं तेरे उद्धार के लिए एक व्रत बताता हूँ ! यदि तू आषाढ़ा मास के कृष्ण पक्ष में योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा ,तो तेरे समस्त पाप नष्ट हों जायगे और तू पहले की भाति ही स्वरूपवान हों जायगा !’ महृषि मार्कण्डये के ऐसे सुभाषित वचन सुनकर हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया !व्रत का प्रभाव इतना प्रबल था की वह अगले ही दिन दिव्य शरीर वाला बन गया !तभी से योगिनी एकादशी का व्रत रखने की परिपाटी चली आ रही हैं ! The post जाने योगिनी एकादशी की व्रत विधि और कथा appeared first on Mereprabhu. |